तुम बोलो क्या में सच कह दूँ...
क्या कह दूँ में उन वीरों से
जो सब कुछ भूल लड़े जम कर
जिन्हें देश सिवा कुछ याद न था
जो लड़ते जान गवाँ बैठे
न पूछा एक भी पल मुड़ कर
कौन मेरे घर पर आंसू पौछेगा
जब रोएगा ललना मेरा
कौन उसके संग संग खेलेगा
सब भूला कर बस वो बढे चले
सीना छलनी करवाने को
न आंच लगे भारत माँ पर
ये कौल वतन का निभाने को
आज जब एक दशक बीता
तो क्या सच में सच
कह दूँ उनसे
की कितना उनको याद किया ।
वो कुर्बानी मतवालों की
वो दिल दारी दिलवालों की
कितना हमको अब याद है वों
के सच मुच सच कह दूँ उनसे.....
अब वक्त नही है उनके पास
जो लाल किले पर तिरंगा लहराते हैं
की एक पल भी करें याद उन्हें
जो मर कर अमर कहाते हैं।
किस मुंह से कहूँ में वीरों को बोलो
न पहुँचा कोई आज वहां
जहाँ लगने आज वो मेले थे
जो तेरी याद दिलाते हैं
कुछ और तो न हम कर सकते
बस दो फूल तेरी राह चढाते हैं
पर वक्त नही हमारे सरपरस्तों को
इस रसम को भी निभाने का
तुम बोलो क्या में सच कह दूँ उनसे ।
पर
सच तोड़ न दे हिम्मत उनकी
में चल झूट से काम चलता हूँ।
वो न आए अफ़सोस न कर
वो व्यस्त थे देश चलाने में
मन तो उनका भी बहोत किया
पर मजबूर थे वो बेगाने से
सीमाओं पर तकलीफ न हो
किसी जवान को उनके आने से
इसीलिए वो मस्त रहे अपनी धुन में
घर बैठे बैठे बतियाने में ...
क्या कह दूँ में उन वीरों से
जो सब कुछ भूल लड़े जम कर
जिन्हें देश सिवा कुछ याद न था
जो लड़ते जान गवाँ बैठे
न पूछा एक भी पल मुड़ कर
कौन मेरे घर पर आंसू पौछेगा
जब रोएगा ललना मेरा
कौन उसके संग संग खेलेगा
सब भूला कर बस वो बढे चले
सीना छलनी करवाने को
न आंच लगे भारत माँ पर
ये कौल वतन का निभाने को
आज जब एक दशक बीता
तो क्या सच में सच
कह दूँ उनसे
की कितना उनको याद किया ।
वो कुर्बानी मतवालों की
वो दिल दारी दिलवालों की
कितना हमको अब याद है वों
के सच मुच सच कह दूँ उनसे.....
अब वक्त नही है उनके पास
जो लाल किले पर तिरंगा लहराते हैं
की एक पल भी करें याद उन्हें
जो मर कर अमर कहाते हैं।
किस मुंह से कहूँ में वीरों को बोलो
न पहुँचा कोई आज वहां
जहाँ लगने आज वो मेले थे
जो तेरी याद दिलाते हैं
कुछ और तो न हम कर सकते
बस दो फूल तेरी राह चढाते हैं
पर वक्त नही हमारे सरपरस्तों को
इस रसम को भी निभाने का
तुम बोलो क्या में सच कह दूँ उनसे ।
पर
सच तोड़ न दे हिम्मत उनकी
में चल झूट से काम चलता हूँ।
वो न आए अफ़सोस न कर
वो व्यस्त थे देश चलाने में
मन तो उनका भी बहोत किया
पर मजबूर थे वो बेगाने से
सीमाओं पर तकलीफ न हो
किसी जवान को उनके आने से
इसीलिए वो मस्त रहे अपनी धुन में
घर बैठे बैठे बतियाने में ...
EK SUNDAR BHAW RAASTRA GEET ......BAHUT HI SUNDAR
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