ख्वाब-ए-ख़याल



दिल की कलम और एहसासों की स्याही से,
चलो लिखते हैं सपने कुछ खुली आँखों से पढ़ने को...

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बचपन 

वो  शाम- सुबह, वो यादें ,
वो नदियाँ, वो बरसातें ,
सावन के वो रस्सी वाले झूले,
वो पेड़ कभी ना भूले.
वो स्कूल की घंटी टन-टन,
सुन दौड़ते पैर, उड़ता हुआ मन,
घर पर बस खा कर सोना,
और कमरे का एक अपना सा कोना,
छोटी सी दुनिया, छोटे से सपने,
एक पल की कट्टी, बस फिर सब अपने.
गर्मी में कुल्फी, जाड़ें  में कॉफी,
हसरत बस इतनी, फिर कुछ ना बाकी.
वो गरम पकौड़ियां , वो ठंडी बातें ,
वो लम्बी नींदें  छोटी सी रातें। 


पर, बड़ी जिद थी बड़े हो जाने की,
बिन पूछे घर से जाने की,
अपना मोबाइल पाने की,
एक दिन बिना रोक बीताने की.
दोस्तों संग घूम के आने की,
अपनी प्रेम-कथा सच कर पाने की.
अपने मन की पिक्चर देख के  गाने गाने की,
उस लड़की को डटे पे कहीं दूर ले जाने की । 

सब मिल तो गया, सब पा तो लिया,
जो सोचा था वो सब तो किया.
जब सब कुछ है, फिर क्या छूट गया,
क्या ख्वाब था जो लगे टूट गया,

ये पढ़ लिख कर, यूं हो के  बड़ा,
अब जाऊं  कहाँ, रुकना ही पड़ा.
सब अपने फन में माहिर हैं,
सबकी अपनी मजबूरी है,
छत  एक हो या दीवार हो कम ,
पर मीलों से ज्यादा दूरी है। 

वो बड़ों की दुनिया,
बस बचपन के  सपनों में ही  केवल अच्छी  थी,
जिसमे सब लगते आजाद से थे ,
जिसमे उनकी बातें लगती सच्ची -सच्ची  थी। 


यहाँ तो बड़ा ही  गड़बड़-झाला है,
हर रंग बड़ा अलबेला, बड़ा निराला है.
क्या सोचूं कौन सा सपना टूट गया,
अब नींद ही कौन सी अच्छी वाली है,
सपने भी देखना छूट गया। 

वो बोझ ही  काफी अच्छा था,
जो बस था कुछ चुनी हुई किताबों का,
अब बस नाचो इस टेढ़े आंगण में,

करना हे क्या है अब खवाबों का  !!!



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ना सोचा है


किस ओर चलूँ ना सोचा है
किस ठौर रुकूं ना सोचा है

बिन मंजिल निकलूँ राहों पे
या खड़ा रहूं चौराहों पे,

क्या राह चूनू ना सोचा है

दिल तोड़ चलूँ, कुछ जोड़ चलूँ,
दो कदम चलूँ, या दौड़ चलूँ,

किस ओर बढ़ूँ ना सोचा है!!

क्या हिम्मत करलूं बढ़ने की,
क्या ज़िद मैं पकड़ लूँ लड़ने की,

क्या हाल चूनू, ना सोचा है

तूफानों में वीरानो में,
कुछ अपनो में बेगाने में,
बस बैठा रहूं खयालों में,
या ख्वाब चूनू ना सोचा है!!

किस ओर चलूँ ना सोचा है,
किस ठौर रुकूं ना सोचा है!!


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रहने दो

मत रोको आज इनको, इन अश्को को बहने दो,
दर्द-ए-दिल दिलबर का इस दिल को सहने दो,
मिटा दो ख्वाब दुनिया को अब कब्जे में करने का,
मुझे मेरी गलफत में ही बस गुमनाम रहने दो,

उठा के ले जाओ अब ये ख्वाब,
वो फैसले, ये हौसलें,
ऐसी जीत से अच्छा है,
मुझे नाकाम रहने दो

रहने दो तमन्नाए,
आसमान में आशियाँ बनाने की,
नॅम आंखे हो और पर भी गिले हों
चलो छोड़ो भी अब ये उड़ान रहेने दो .

आओ ढूंढ लेते हैं,
नई राहें, नयी मंज़िल,
जो इतना तन्हा कर छोड़े,
अब वो अरमान रहने दो!!!

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